गुरुवार, 12 अक्तूबर 2017

सैलाब

इस मौसम में देखो बारिश में क्या कहर ढाया है,
मेरे शहर में अब हर जगह सैलाब आया है,

शजर था उस जमीं पे कभी ये खयाल आया है,
हर मंजर अब उजड़ा उजड़ा सा नजर आया है,

पक्की जमीनों का हौसला भी अब टूटने लगा है,
शायद सड़क थी यहां भी मुझको खयाल आया है,

भरने लगे है नदी नाले सब,
कोई फरियाद रंग लाया है,
बरसते है बादल रात दिन अब हर बखत,
मौसम में शायद कोई बदलाव आया है,

की बस कर कितना और बरसेगा तु बादल,
मेरे शहर में तू समंदर ले आया है।
--सुमन्त शेखर।

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