है दुआ यही, धनवान बनो तुम,
स्वस्थ निरोग क्षमतावान बनो तुम,
लालच तृष्णा द्वेष क्रोध अहं का,
इस जीवन मे ही त्याग करो तुम,
दया प्रेम की भाषा बनो तुम,
सदा श्रेष्ठ इंसान बनो तुम।
--सुमन्त शेखर।
मेरे ख्यालों के कुछ रंग मेरे भावो की अभिव्यक्ति है। जीवन में घटित होने वाली घटनायें कभी कभी प्रेरणा स्रोत का काम कर जाती है । यही प्रेरणा शब्दों के माध्यम से प्रस्फुटित होती है जिसे मैंने कविता के रूप सजाने का प्रयास किया है । आनंद लिजिये।
बुधवार, 18 अक्तूबर 2017
दीपावली की शुभकामनाएं
दीपावली
दीपमाला सर्वत्र बिछे,
घर आंगन सब चमके,
रिद्धि सिद्धि के स्वामी की,
सब पर कृपा बरसे,
माँ लक्ष्मी की दया से कोई,
जन मानस ना छुटे।
--सुमन्त शेखर।
मंगलवार, 17 अक्तूबर 2017
एक दिया सेना के नाम।
दूर हैं अपने घरों से आज,
सरहदों पर हैं हरदम तैनात,
जल थल हो या आकाश,
नक्सल हो या आतंकवाद,
चुनोतियों से लड़ना उनका काम,
शौर्य पराक्रम का लेते हैं जाम,
तरसते अक्सर हर घंटे दिन रात,
मिल जाये अपनो का साथ,
चलो जोड़ ले अपना हाथ,
दिया दीवाली का ले लो साथ,
करें खुशियों की एक शाम,
देश के वीर सपूतों के नाम।
-सुमन्त शेखर।
गुरुवार, 12 अक्तूबर 2017
सैलाब
इस मौसम में देखो बारिश में क्या कहर ढाया है,
मेरे शहर में अब हर जगह सैलाब आया है,
शजर था उस जमीं पे कभी ये खयाल आया है,
हर मंजर अब उजड़ा उजड़ा सा नजर आया है,
पक्की जमीनों का हौसला भी अब टूटने लगा है,
शायद सड़क थी यहां भी मुझको खयाल आया है,
भरने लगे है नदी नाले सब,
कोई फरियाद रंग लाया है,
बरसते है बादल रात दिन अब हर बखत,
मौसम में शायद कोई बदलाव आया है,
की बस कर कितना और बरसेगा तु बादल,
मेरे शहर में तू समंदर ले आया है।
--सुमन्त शेखर।
मंगलवार, 10 अक्तूबर 2017
शहर के पोखरा v2
लगल बा जाल मुसहरी,
झगवा से बचावे ला,
पोखरा के इ ह गंदा पानी,
रोज आऊ करियाए ला,
लोग तबहुँ ना कुच्छो सोचे,
ओकरे में कूड़ा डाले ला,
शहर में पोखरा घटे लगल बा,
सरकार कबहू ना सोचे ला,
करखनवो के गंदा पानी,
सब पोखरे मे डाले ला,
साफ करेला केहू ना,
खाली भाषण बाजी करेला,
उकरे में से फिर एग्गो दुग्गो,
सफाई के जिम्मा लेवेला,
गिन्नल चुन्नल काम करेला,
फ़ोटोवा खूब खिचावे ला,
उकरे से फिर तन्नी मन्नी,
जान पोखरा में आवेला।
--सुमन्त शेखर।
तालाब शहर का
लगल बा जाल मुसहरी,
झगवा से बचावे ला,
तलाबवा के पानी करियाइल,
लोग केतना कूड़ा डाले ला,
घटल बा तालाब शहर में,
सरकार कबहू ना सोचे ला,
करखनवो के गंदा पानी,
सब उकरे मे डाले ला,
साफ करेला केहू ना,
सब भाषणबाजी करेला,
उकरे में से फिर एगो दुगो,
सफाई के जिम्मा लेवेला,
जेतना शक्ति ओतना भक्ति कह,
सब फ़ोटो खूब किचावे ला,
उकरे से फिर तन्नी मन्नी,
जान तलाब में आवेला।
--सुमन्त शेखर।
मंगलवार, 3 अक्तूबर 2017
ट्रैफिक जाम v2
लल्लू भईया घर से निकले,
सुबह में आफिस जाने को,
बीच सड़क में जाम लगा था,
अब राह नही कोई जाने को,
बीत गया जब जाम में घंटा,
आफिस लगा बुलाने को,
पगडंडी पर भागे भईया,
आफिस जल्दी जाने को,
वहाँ भी लंबा लाइन दिखा फिर,
लगा जाम सताने को,
बड़े पापड़ बेले लल्लू भईया ने,
वापस सड़क पे आने को,
आने जाने के चक्कर में,
लगा पसीना आने को,
थके हारे जब लल्लू भईया,
वापस चले घर आने को।
--सुमन्त शेखर।
रदीफ़ ठीक करने का प्रयास है।