शनिवार, 22 अप्रैल 2017

केन्ट आम

ना दशहरी है भाया,
ना मालदा है आया,
अल्फांसो, मल्लिका,
बैगनपल्ली, सिंधुरा,
बादामी भी लगा फीका
जब केन्ट को मैंने चखा।
कोई आम हो ऐसा,
जो तुम्हे लगा हो अच्छा,
जल्दी से बता दो रे भईया,
मुझे भी है चखना।
©सुमन्त शेखर।