मंगलवार, 13 अक्तूबर 2015

पलकें

पलकें जो खुली हो
आँखे दीदार दुनिया करती है
हर शख्स के चेहरे से
उसका हाल दर्द पढ़ती है
पलकें जो खुली हो
महबुब की आँखों में झांकती है
उसकी आँखों में मोहब्बत से भरी
अपनी तस्वीर निहारती है
पलकें जो खुली हो
आँखें दुनिया के हर रंग से खेलती है
कही फैला हुआ गम
तो कही बटती खुशिया देखती है
पलकें जो खुली हो
हर फुल कली बड़ी प्यारी लगती है
सभी के होठो पे फैली मुस्कान
देखने वाली होती है
पलकें जो बंद हो
इंसान को खुद का एहसास कराती है
हर धड़कन और हर साँस की
एक एक स्पन्दन सुनाती है
पलकें बंद हो तो
इंसान को खुद से पहचान कराती है
अपने भीतर छुपे हुए तूफान से
खुद को परिचय करवाती है
पलकें बंद हो तो
सच और झूठ का वास्तविक रूप दिखाती है
हर इंसान के सोचने और समझने की
नयी ऊर्जा दिलाती है।

शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2015

लाल बहादुर शास्त्री

लाल तो बहुत से बहादुर हुए
पर कोई दूसरा लालबहादुर ना हुआ
लाहौर पर फतेह कर ले
कोई ऐसा दूसरा प्रधानमंत्री ना हुआ।
जय जवान जय किसान का नारा
जब भारत की गलियों में गुंजा था
हरित क्रांति ला जिसने भारत को
खाद्यान में आत्मनिर्भर बनाया था
हर देशवासी को नाज है जिसपर
वो लाल बहादुर शास्त्री है
स्वावलंबी था जीवन में अपने
भारत को वो वीर सपुत।
#lalbahdurshastri