बुधवार, 31 दिसंबर 2014

इन्तेजार

बड़े बेसब्र हुए जा रहे है 
हम तो तेरे इन्तेजार में 
बाट जोहते नैन हमारे 
थक गए तेरे आस में। 

सोमवार, 29 दिसंबर 2014

वर्ष 2015

हो रहा ये वर्ष समापन 
आगाज नए का करना है 
कर लो अब तैयारी पुरी 
नाच गाना थोड़ी मस्ती 

झुमेगी हर झुग्गी बस्ती
शहरो में भी रहेगी मस्ती
करेंगे खुब हल्ला गुल्ला 
स्वागत वर्ष दो हजार पंद्रह 

शुक्रवार, 26 दिसंबर 2014

नववर्ष

अब कुछ घड़ियाँ और बची है 
नए साल के आने में 
याद करो सब क्या खोया -पाया 
बीत गए ज़माने में 

कुछ अच्छा पाया 
कुछ हमने किया ख़राब 
सोचो क्या करना है अब 
भुल जाओ कल का हिसाब 

फैला दो नयनो की चादर 
करो स्वागत सहर्ष उल्लास 
मधुर रहे ये पावन नववर्ष 
समृद्ध करे यह जीवन हरपल 

बुधवार, 24 दिसंबर 2014

मैरी क्रिसमस

कर रहे हम इन्तेजार यहाँ 
संता आएगा पहले जहां 
खुशियो का देगा सबको तोहफा 
बच्चो को देगा खेल खिलौना 

फिर हम संता के संग नाचेंगे 
"जिंगल बैंग" हम गाएंगे 
खुशियाँ हम लुटाएंगे 
क्रिसमस हम मनाएंगे 

आ गया है संता स्लेज पर 
मिलकर बोलो "मैरी क्रिसमस"

रविवार, 21 दिसंबर 2014

तुम

अब कुछ अर्ज भी कर दो यार 
कान तरस गए सुनने को 
कब से खामोश बैठे हो 
क्या तुम सच में गुंगे हो 

तुम्हे ना मालूम हो लेकिन 
सुरों के सरताज हो तुम 
तुम सितार के तार हो 
वीणा की मधुर तान हो तुम 

सुगम संगीत का राग हो तुम
पपीहे की आवाज हो तुम  
पानी का कलकल गीत हो तुम
एक मन्द मधुर मुस्कान हो तुम 

खुद को अब पहचानो यार 
करो दुनिया से नजरे चार 
इतना मत शरमाओ यार 
अब तो अर्ज कर ही दो यार 

शनिवार, 20 दिसंबर 2014

उसने मुझे शहर जो दिखानी थी

आज जब बत्ती गुल हुई 
मै बालकनी में चला आया 
अपने शहर का नजारा बड़ा खास था 
चारो तरफ घना अँधेरा और 
बीच में गाड़ियों की रौशनी में जगमगाता सड़क था 
चमचमाती इमारतों को तो देखो 
लगता था मानो किसी ने 
हीरे जड़ दिये हो इस अँधेरे शहर में 
हर विराना गुलजार था इस अंधेर में भी 
युँ तो रोजमर्रा की जिंदगी में
बिजली जाती थी घंटे - दो घंटे के लिए
पर आज कुदरत कुछ ज्यादा ही मेहरबान थी 
नहीं जान पता मै अपने शहर को करीब से इतने 
ये तो बिजली विभाग की मेहरबानी थी 
उसने मुझे शहर जो दिखानी थी 

बुधवार, 17 दिसंबर 2014

क्रिसमस

लाल लाल टोपी डाले 
सादी लंबी दाढ़ी वाले 
गोल गोल पेट फुला के 
पीछे उपहारों गठरी डाले

देखो सांता अब आएगा 
फिर बच्चो को हंसाएगा 
क्रिसमस संग मनाएगा 
खुशियां देता जायेगा

सोमवार, 15 दिसंबर 2014

मझधार

आज कितना चुप हुँ मै 
कुछ बोलने को मन नहीं कर रहा 
फिर आपको देखकर 
चुप रहा नहीं जाता। 

ना जाने ये कैसी 
अजीब सी उलझन है 
ना निगलने को बनता है 
ना उगला ही जाता है। 

बीच मझधार के से 
फंस गया हु मै 
कोई तो हाथ बढ़ा दो यार 
देखो कितना उलझ गया हुँ मै। 

रविवार, 14 दिसंबर 2014

आज और कल

कि जीता है हर इंसान आज में 
फिर भी सोच रहा है कल की
कितना भी कच्चा हो ​जग में
पर बिसात बिछाता है वो पक्की 

जुझता है आज से
चाहें कितना भी हो मुश्किल
चाह यही है दिल में
कि हर ख़्वाब हो जाये मुमकिन

लिए ख़्वाब इन आँखों में
हमने भी यही चाहा है
कितनी भी मुश्किल हो आज
कल का दिन हमारा है

यूँ तो कल नहीं आता है
इक मंजिल सा दे जाता है
मंजिल को पाने की जिद में
हर इंसान आज को जीता है

शनिवार, 13 दिसंबर 2014

जन्मदिन

जन्मदिन मुबारक हो तुमको तुम्हारा 
पार कर ली है तुमने एक वर्ष की ये संघर्ष यात्रा 
है दुआए हम ये देते तुमको आज फिर 
लोग जाने अब तुमसे परिवार को हमेशा 

नहीं होती है राह कभी आसान जिंदगी की 
करो तुम पार हर चुनौती तक़दीर की 
ना मानो हार कभी किसी काम को करने से 
क्योंकि यही तो है कुंजी कल को जीने की 

बुधवार, 10 दिसंबर 2014

क्रिसमस और नया साल

​​वही जमीन है 
वही आसमान है 
मेरे चारो ओर सबकुछ वही है 
फिर भी कुछ बदल सा गया है

चारो तरफ लोगो को देखो 
किसी उधेड़बुन में रहने लगे है 
कोई सांता बनता कोई तारे बनाता 
जैसे क्रिसमस का तयोहार हो आता 

अरे ये महीना कौन सा है
लो ये तो दिसंबर आ गया है 
तभी तो कहु ठण्ड क्यों लग रही है 
क्रिसमस और नया साल आ गया है 

रविवार, 7 दिसंबर 2014

फिर सुबह होगी

रात होती है कि अब फिर सुबह होगी 
हर रात की किस्मत यही मुकम्मल होगी​​

ये जो बीत गया दिन बेहद हसीन था 
आनेवाला दिन भी लाजवाब होगा 

बस इस रात को गुजर जाने दो
कि सुबह फिर तुम्हे गले लगा सके 

शुक्रवार, 5 दिसंबर 2014

पड़ाव ये आखिरी

दर्दे जुदाई तो अब सहना पड़ेगा 
हमे भी इस बदलाव से गुजरना पड़ेगा 
जिंदगी के सफर में मुकाम हजारो है 
हमें हर मुकाम को पार करना पड़ेगा 

माना की इस कहानी का पड़ाव ये आखिरी
पर जान लो ये सफर की छोटी सी इक कड़ी  
अभी और भी है कड़िया कई जोड़नी 
हर जोड़ पर इसके हमे मिलती नई कहानी 

जिंदगी के सफर में मिलते है मुसाफिर अनेक 
सब देते जाते हमको अपने अनुभव बुरे भले 
हु मै शुक्रगुजार उनसब मुसाफिरों का 
जिन्होंने मुझे सिखाया फलसफा ये जिंदगी का 

मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

होगी शादी आपकी भी एकदिन

सुर्ख़ लाल जोड़े में वो आएगी 
आपको गले से लगाएगी 
आपकी किस्मत का सितारा बदलेगा उस दिन 
जब वो आपके घर आएगी 

अब तक जो आप छुट्टा सांड थे 
वो आपको बकरा बनाएगी
होशियार रहना ए मेरे दोस्त 
जिंदगी तो बस एक मौका ही दे पायेगी 

चढ़ो जो घोड़ी पर 
समझ लेना उस दिन 
जिंदगी ने दिया है ये मौका आपको उस दिन 
भगा लो घोड़ी को जो ना बनना हो बकरा 

मगर किस्मत को कौन बदल सका है मेरे दोस्त 
ना भगा पाओगे आप घोड़ी को उसरोज 
बंधोगे आप मंडप में उसके जोड़े से एक दिन 
होगी शादी आपकी भी एकदिन। 

सोमवार, 1 दिसंबर 2014

मनःस्थिति

मैं मेनका
चली रिझाने 
महर्षि 
विश्वामित्र को। 

कभी मृदंग की ढाप से, 
कभी केशों की छाव से,
अपने सोलह श्रृंगार से,
नृत्य की झंकार से,

कभी वीणा के वान से,
कभी सितार के तार से, 
अपने कदमो के थापों से, 
नव यौवन की अदाओ से, 

हर सम्भव प्रयास करू मैं
नित नव अनुसन्धान करू मैं 
मान जाओ हे विश्वामित्र ,
अब तुझको प्रणाम करू मैं।