मशरूफ़ियत में अपने अक्सर भुल जाते है खुद को हम
और लोग पुछते है हमसे, हमे कब याद करते हो सुमन्त !याद तो सभी रहते है हमे बस बात नहीं कर पाते
जब भी नंबर लगाते हम फिर मशरूफ हो जाते
मेरे ख्यालों के कुछ रंग मेरे भावो की अभिव्यक्ति है। जीवन में घटित होने वाली घटनायें कभी कभी प्रेरणा स्रोत का काम कर जाती है । यही प्रेरणा शब्दों के माध्यम से प्रस्फुटित होती है जिसे मैंने कविता के रूप सजाने का प्रयास किया है । आनंद लिजिये।