शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2014

बसंत मनाये दुनिया सारी

बड़ी खामोश रहती थी राते 
ठंडी ने थी पाव पसारे 
सब आलस में चादर ताने 

हवाए पूरी शांत थी 
पूस वाली वात थी 

फिर मौसम में परिवर्तन आया 
हवाओं ने भी वेग अपनाया 
ऋतुराज ने कदम बढ़ाया 
पेड़ो ने नव पल्लव पाया 
अमिया ने भी खुब लुभाया 
नव फुलो से बाग भरा है 
खग कलरव का सारा समा है 

ठंडी गरमी एक सामान 
धूल का नहीं है नाम-निशान 

माँ शारदा को किया नमन  
शिव को भी फिर किया प्रसन्न 
अब आएगी होली की बारी 
रंग भर सब खेलें पिचकारी 
बसंत मनाये दुनिया सारी। 

गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014

महाशिवरात्री

महाशिवरात्री 
वर्ष में एक बार है आती 
करो जो उपवास आज 
बेलपत्र जल अर्पण के साथ 
बरसेगी कृपा सभी पर साथ 
करते रहो बस शिव का ध्यान 
महादेव करें कल्याण 
कही भोलेनाथ कहलाते है 
कभी महाकाल बन जाते 
पशुपतिनाथ सोमनाथ है 
अमरनाथ है बैजनाथ है 
जगतगुरु विश्वनाथ है 
शीश पर चंद्र है जटा में गंगा का वास 
बोलो हर हर शिव शम्भु नाथ 
पंचाछरी जो शिव को लुभाय 
ॐ नमः शिवाय 
ॐ नमः शिवाय

बुधवार, 26 फ़रवरी 2014

मंजिल का पता

हर ख्वाब के हर हर्फ़ अपने होंगे 
हर दिन और हर रात अपने होंगे 
मुसाफिर हैं हम हर पड़ाव अपने होंगे 
जमीन अपना हर आसमान अपना होगा 

जरूरत है तो बस नींद से जागने की 
फिर आसमान को झुकाने की 
मंजिल की ओर कदम बढ़ाने की 
हर मुश्किल से दो हाथ करने की 

ना कभी रुकने ना थकने की 
हमेशा डटे रहने की 
कभी ना हार मानने की 
फिर हर मुश्किल आसान होगी 

हर मंजिल सजदा करेगी 
अपना रास्ता खुद बयां करेगी 

छोटी सी दुनिया

छोटी सी दुनिया में रहता हूँ
दो चार लाइने लिखता हूँ
कुछ आपको अर्ज करता हूँ
कुछ फेसबुक पे दर्ज करता हूँ

कई रास्ते

यु तो कई रास्ते है सामने मेरे
सबके दरवाजे है बंद पड़े
हर दरवाजा मैं खटखटाता हूँ
मालूम नहीं कहा रखी है तक़दीर मेरी
बस इक उम्मीद जलाये रखता हूँ
कब मिल जाये तक़दीर मेरी......

ख्वाबों कि दुनिया

ख्वाबों कि दुनिया भी बड़ी अजीब सी है 
कभी बेचैन तो कभी खुशगवार सी है 
सबकुछ मिल जाता है यहा सभी को 
फिर भी कुछ नहीं मिलता किसी को

दो हल्फ

जब भी दस्तूर आवाज देती है
जुबां पे दो हल्फ आ जाते है
अंगुलिया नाचने लगती है
जाने क्या बयां कर जाती है

शादी की बधाई।

यू तो जोड़ियां स्वर्ग में बना करती है 
पर धरातल पर ही यथार्त होती है 
दुवाएं तो सभी देते है 
पर जो दिल से निकलती है बेहद खास होती है 

पहले तो आप अकेले थे 
हर कष्ट आपने झेले थे 
पर जब कोई साथ होता है 
हर कष्ट का भी अलग मजा है 
जीवन के हर डगर पर 
आपके लिए यही एक रजा है 
बना रहे आप दोनों का साथ सदा 
यही मेरी दुआ है 

मेरा परिचय

ना अख्तर हूँ ना मैं गुलजार
मुक्तक लिखने को हूँ तैयार 
सुमन्त शेखर नाम है मेरा 
वेब डेवलपमेंट काम है मेरा  
बना कर अपने शब्दो की हाला 
प्रस्तुत है छंदो का प्याला