दूर हैं अपने घरों से आज,
सरहदों पर हैं हरदम तैनात,
जल थल हो या आकाश,
नक्सल हो या आतंकवाद,
चुनोतियों से लड़ना उनका काम,
शौर्य पराक्रम का लेते हैं जाम,
तरसते अक्सर हर घंटे दिन रात,
मिल जाये अपनो का साथ,
चलो जोड़ ले अपना हाथ,
दिया दीवाली का ले लो साथ,
करें खुशियों की एक शाम,
देश के वीर सपूतों के नाम।
-सुमन्त शेखर।
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