बुधवार, 26 जुलाई 2017

सत्ता परिवर्तन

रथ को रोकने के ख्वाब थे उनके,
जो दामन ना बचा पाए है अपने,
समझाया था इशारो में आपको,
यही मौका है बच के निकल लो,
समझ की कमी थी शायद उनमे,
तभी तो मंत्री जी साथ छोड़ गए,
भाईचारा में ना भाई रहा ना चारा,
मान भी लो नीतीश ना रहा तुम्हारा,
समीकरण भी कैसे है रंग बदलता,
सत्ता बदल गयी पर मंत्री ना बदला।
--सुमन्त शेखर।

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