सोमवार, 22 मई 2017

तड़ित

प्रचंड प्रबल वेग से,
पवन गतिमान है,
मेघाभिमान नभ में,
तड़ित प्रकाशमान है,
जलकणों में टूट से,
शीत का संचार है,
नवबिन्दु के प्रभाव से,
अंकुर में भी जान है।

लो हुई मेघों में मार है,
तड़ित की झंकार है,
जलबिंदु की बौछार है,
नभ का धरा पर वार है,
रात्रि का उसे साथ है,
सर्वत्र अंधकार है।
--सुमन्त शेखर।

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