सोमवार, 22 मई 2017

नींद

रातभर मैं करवटें बदलता रहा,
रातभर मैं किश्तों में सोता रहा,
नींद तो आंखों को आती थी,
पर रह रह कर कही चली जाती,
रात भर मौसम को कोसते रहे,
रह रह कर पानी भी पीते रहे,
और ये कमबख्त नींद भी मुझे,
ना जाने कौन कौन से ख्वाब दिखाती रही,
कभी सपने में मुझे हँसाती, कभी रुलाती,
बार बार मुझे भगाती रहती,
मैं फिर उठता, पानी पीता और,
अगले सपने में भागने को तैयार रहता।
--सुमन्त शेखर

तड़ित

प्रचंड प्रबल वेग से,
पवन गतिमान है,
मेघाभिमान नभ में,
तड़ित प्रकाशमान है,
जलकणों में टूट से,
शीत का संचार है,
नवबिन्दु के प्रभाव से,
अंकुर में भी जान है।

लो हुई मेघों में मार है,
तड़ित की झंकार है,
जलबिंदु की बौछार है,
नभ का धरा पर वार है,
रात्रि का उसे साथ है,
सर्वत्र अंधकार है।
--सुमन्त शेखर।