शुक्रवार, 29 जुलाई 2016

ऐ बरसते बादलो

ऐ बरसते बादलो,
यू ना बरसो सब जगह,
बरसना ही है तो बरसो वहाँ,
इक बूंद को तरसते लोग जहा,

माना कि तूने भर दिए है,
हर गड्ढ़े हर नाली,
पर नहीं मिला है जीवों को,
पिने का साफ पानी,

मत बरस तू इतना ज्यादा,
मेरे शहर में,
नहीं यहाँ मिट्टी की जमीन,
अब कंक्रीट खाली,

ना जायेगा पानी जमीन के भीतर,
बह जायेगा संग नाली,
सड़को पर भरेगा पानी,
सबको होगी बहुत परेशानी,

ऐ बरसते बादलो,
यू ना बरसो सब जगह,
बरसना ही है तो बरसो वहाँ,
इक बूंद को तरसते लोग जहा।

--सुमन्त शेखर।

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