खफा है दोस्त मेरा,
पिछले कुछ दिनों से,
कुछ कहता नहीं अब वो हमसे,
कोई राज दफ़न है सीने में,
ये जरुरी है की मुलाकातें हो,
मुझसे और तुमसे चंद बातें हो,
मिट सकते है गीले शिकवे,
चाहे कुआँ हो या खाई हो।
खामोशियों से तेरी,
हर बात सीने में दफ़न रह जायेगा,
ना कभी वो जिक्र में होगा,
ना सुलझ पायेगा कभी।
गर खता हुई है मुझसे,
तो मुझे उसका इल्म करा दे,
खामोश रहने से तेरे,
खता माफ़ कौन करे।
मजबूर हो सकते है कल अपने हालात,
चाह कर भी न हो पाये अपनी बात,
क्यों करें हम इसका इंतेजार,
चलो मिलकर करे हम बातें दो चार।
-- सुमन्त शेखर
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