मेरी नयी कार,
चलती है बेमिसाल,
सब चलाएं तो है काबू में,
मुझसे है बेकाबू यार।
नया नवेला मैं वाहन चालक,
धीरे धीरे चलती कार,
दसवे दिन ही ठोकी मैंने,
मेरे ऑफिस का था द्वार।
बीमा से फिर मिली जो राशी,
कुछ और मिलाकर भुगतान किया,
वाहन चालन के स्वप्न का,
फिर समय ने कुछ तिरस्कार किया।
महीने भर मैंने फिर,
अपनी शक्ति का भंडार किया,
लिया वाहन संग मित्र था मेरे,
सड़को पर चालन का ज्ञान लिया।
अब है हुआ विस्वास मुझे,
वाहन चालन का है भान मुझे,
निःसंकोच चलाना सीख रहा हूँ,
सड़को पर सरपट दौड़ रहा हूँ।
गति को नियंत्रित करना है,
पहिये को दिशा भी देना है,
संकेत सभी को करना है,
नयी राहो से गुजरना है।
राजमार्ग या मुख्य सड़क,
सब से रोज गुजरना है,
सब हालातो में अब तो मुझे,
मेरी गाड़ी पे काबू पाना है।
--सुमन्त शेखर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें