गुरुवार, 24 मार्च 2016

।।सफ़र रेल का।।

ग्रीष्म ऋतू में सफ़र रेल का,
तड़ तड़ तड़ तड़ स्वेद तन का,
गर्म हो गया नीर रेल का,
सभी तलाशें पेय शीतल सा।

जब भी कोई स्टेशन आता,
भीड़ पेय की दुकान पे सजता,
पतलून में सब घूम रहे है,
गर्मी से सब त्रस्त है भईया।

कोई मट्ठा देखो पी रहा है,
कोई कोल्ड ड्रिंक पी के झूम रहा है,
कोई ठंडा पानी ढूंढ रहा है,
कोई गर्म मौसम को कोस रहा है।

अब शाम हुई,
गर्मी थोड़ी शांत हुई,
ठंडी अब हो गयी हवाएं,
सब लोगो ने राहत पायी।
--सुमन्त शेखर।

मंगलवार, 15 मार्च 2016

बारिश

कबसे जमी थी धुल,
आज धुल गयी,
मेरे शहर में भी आज,
बारिश हो गयी।
काले होते हुए पत्तो में भी,
आज हरियाली छा गयी,
गर्मी के सितम से थे सब परेशा,
लो अब ठंडी हो गयी,
पसीना से जो गिला हुआ था,
आज राहत मिल गयी,
कब की प्यासी थी जमी,
आज इसकी प्यास बुझ गयी।
-- सुमन्त शेखर।