मंगलवार, 22 सितंबर 2015

बस यही सौगात मांगता हुँ

यूँ तो आज हमने उम्र के एक पड़ाव को पार किया 
लोग कहते है बुढ़ापे की तरफ एक और कदम बढ़ा दिया 
गौर से देखो तो नजर कुछ और आता है 
कि इस दुनिया में संघर्ष का और एक साल निकाल लिया 

ये तो बस आप सभी के आशीर्वाद और दुआओं का फल है 
जो हमने ये मुकाम पा लिया 
बरसता रहे आपका आशीर्वाद और दुआ हम पर अनवरत 
बस यही सौगात मांगता हुँ 
--सुमन्त शेखर 

सोमवार, 21 सितंबर 2015

बादलों को भी शरमाना आ गया

मद्धम मद्धम सी रौशनी अब चाँद की
शर्म से लाल होने लगी है
बादलों का झुरमुट भी अब देखो उससे
जाने क्यों दूर जाने लगा है।

लालिमा को ढकने वाला बादल आज
चाँद को कश्मकश में क्यों छोड़ गया
शायद लाल होते हुए चाँद के दीदार से
आज बादलो को भी शरमाना आ गया।

-- सुमन्त शेखर