मंगलवार, 24 जून 2014

धूम्रपान

बड़ा अजीब इत्तेफाक था 
ये वाकया हुआ मेरे साथ था 
मैं सड़क पर गतिमान था 
किनारे पेड़ विद्यमान था 

तभी सहसा 
हुआ एक हादसा 
पेड़ से गिरा 
एक सिगरेट जलता 

मैं हुआ स्तब्ध 
विचारो में मग्न 
क्या पेड़ भी रखते है 
धूम्रपान का शौख 

पहले तो कुछ पीड़ा हुई 
महसूस हुआ कलजुग है भाई 
इंसान तो इंसान यहाँ पर 
पेड़ भी करते है धूम्रपान 

सोमवार, 9 जून 2014

​ख्वाबो को ना रोको उड़ने से आज

​ख्वाबो को ना रोको 
उड़ने से आज 
पिंजरे का पंछी 
बन जायेगा 
जो उड़ गया आकाश में 
सारा जहां दिखा देगा 
फैलेगा तुम्हारे नाम का यश 
जहाँ तक ये ख़्वाब जा पायेगा ​
​ख्वाबो को ना रोको 
उड़ने से आज 
पिंजरे का पंछी 
बन जायेगा

सोमवार, 2 जून 2014

बारिश में बस का सफर

आज शाम की बारिश में 
बस का सफर अनोखा था 
कांच टूटी थी खिड़की की 
हर जोड़ में रिसाव था 

जैसे जैसे फिर दिन ढला 
बारिश का भी चादर फैला 
बस जैसे जैसे गतिमान हुआ 
खिड़की से पानी दाखिल हुआ 

हर मुसाफिर अब खिड़की से दूर हुआ 
जब पानी से तन सबका गिला हुआ 
खड़े हुए सब बस के भीतर 
जब जोड़ो से भी रिसाव हुआ 

बारिश ने फिर जोर लगाया 
पानी बस के भीतर आया 
बस में  दरिया का निर्माण हुआ  
हर मुसाफिर का तन गिला हुआ 

रास्ते में थे खड्डे अनेक 
बारिश में दिखते सब एक 
चालक बस को झटके देता 
पानी के छींटे ऊँचे उडाता 

जैसे तैसे सफर था काटा 
तब जाके मंजिल पर आया 
अब भी घर था दूर हमारा 
हमने भी तब छतरी डाला