रविवार, 30 मार्च 2014

घर ऑफिस

रोज रात को देर से जाना 
सुबह ऑफिस में जल्दी आना 
घर में केवल सोना खाना 
छुट्टी में भी काम है करना 

यूँ तो हरदम बस में जाना 
पर देर रात में कैब बुलाना 
किराया कैब का नगद में देना 
कंपनी में फिर क्लेम है करना 

कभी कभी जब समय हो अच्छा 
ऑफिस देर से जाना जल्दी आना 
चाय कॉफी का चुस्की लेना 
घंटो तक वो गप्पें करना 

हर इशू पर है मीटिंग करना 
कोडिंग कम बात ज्यादा करना 
लंच ऑवर में बाहर खाना 
ट्रेंनिंग सेशन में नींद का आना 

हर ऑफिस का है यही तराना 
हर एम्प्लॉई का है अलग फ़साना 
कोई खुश है तो कोई दुखी बेचारा 
घर ऑफिस का ये चक्कर सारा 

गुरुवार, 20 मार्च 2014

चुनावों की गहमा गहमी

चुनावों की गहमा गहमी में 
शब्दो के कटु वान से 
लड़ते है सारे नेता 
आपस में दिलों जान से 

भाजपा संग खड़े है मोदी 
राहुल कांग्रेस की शान है 
झाड़ू लेकर तैयार है केजरी 
धरने से आप का मान है 

मोदी है गुजरात दिखाते 
विकास का दामन फैलाते 
चाय पर है चर्चा करते 
गोधरा पर चुप हो जाते 

राहुल की है अलग कहानी 
भ्रष्टाचार महगाई की मारी ​
​अध्यादेश को कर के ख़ारिज 
प्रधानमंत्री बनने की है ख्वाहिस 

चोर चोर चिल्लाते केजरी 
प्रश्नो की वो बौछार हैं 
​देश को दिग्भ्रमित करते वो 
कांग्रेस का हथियार है 

अलग खड़ा है तीसरा मोर्चा 
मुलायम नितीश संग माया ममता ​
विजयी स्वप्न सब देख रहे है 
बच के रहना तुम जय ललिता 

आप करती सबसे सवाल 
खुद ना देती एक जवाब 
लोकसभा में जाने के खातिर 
दिल्ली का भी त्याग किया 

कई रामो को साथ में लेके 
नमो नमो का जाप किया
काशी में मोदी को भेजा
भाजपा ने ऐसे विस्तार किया

नयी पीढ़ी को टिकट दिलाके 
दिल्ली का एअरपोर्ट दिखाके
फ्लाई ओभर -मेट्रो में बिठा के 
कांग्रेस ने अपना गुणगान किया 

सीटों का सारा खेल है 
हर सीट का यहाँ मोल है 
हमारा दल निर्दोष है 
सामने वाला चोर है 

रविवार, 16 मार्च 2014

मिलजुल कर हमसब होली खेले

होलिका जली प्रहलाद बचा
सारा संसार रंगो से पटा 
घृणा बैर सब छोर छार के 
मिले एक दुसरे से गले लगा के 

अबीर उड़े गुलाल चले 
रंगो की बौछार पड़े 
क्या बच्चे क्या बुढ़े लोग 
रंगो में भीगे सबलोग 

कोई रंगो की बंदुक चलाये 
कोई गालो पर गुलाल मले 
कोई माथे पर टिका लगाये
कोई चरणो पर अबीर रखे 

गली गली में रंग उड़े 
कही कही हुड़दंग मचे 
जैसे जैसे ये दिन बढे 
सब पर होली का रंग चढ़े 

हर घर में पकवान बने 
दही-बड़े का भोग लगे  
छोला कटहल भी खुब चले 
किसी पर भंग का रंग चढ़े 

सदभाव सौहाद्र सीने  में बसा के 
रंग अबीर की थाल सजा के 
प्रेम भाईचारा का संदेश लेके  
मिलजुल कर हमसब होली खेले 

मंगलवार, 11 मार्च 2014

जीवन का रंगमंच

प्रातः जगने से लेकर 
रोज रात को सोने तक 
दफ्तर के कामों से लेकर 
घर में चूल्हा जलने तक 

बस में धक्के खाने से 
रोज देर से आने तक 
सही फैसला लेने पर 
गलत कुछ हो जाने तक 

इंटरनेट पर मेल चेकिंग से 
टीवी सीरियल देखने तक 
जीवन के उत्थान पतन से 
थक कर चूर होने तक 

अक्सर सोचा करता हुँ मैं 
फुर्सत के छण पाने के बाद 
क्या पाया क्या खो गया है 
क्या सोचा क्या हो गया है 

हाथों में कंचे पतंग से 
धरती आकाश के मापने तक 
बचपन के खेलों से लेकर 
दफ्तर के मुश्किल कामों तक 

गावों की तंग गलिओं से लेकर 
अन्नंत आकाश के छोरो तक
विद्यालय के प्रांगण से लेकर  
दोस्तों संग मौज़ उड़ाने तक 

दुर देश में रहने को लेकर 
घर का खाना खाने तक 
जीवन के हर रंग में रंगकर 
हर सपने पुरा करने तक 

सबने साहस खुब दिखाया 
मिलकर है इतिहास बनाया 
जो चाहा था सबकुछ पाया 
जैसा चाहा वैसा पाया 

फिर नया सबेरा आने को है 
अनुभव नये दिलाने को है 
जीवन के इस रंगमंच पर देखो 
रोमांच नये कराने को है 

रविवार, 9 मार्च 2014

मतदान

चुनाव का शंखनाद से 
लोकतंत्र का महापर्व का 
हो गया आरम्भ 

जुटने लगी जनता के पास 
जनप्रतिनिधिओं की भीड़ 
वोट दो हमें वोट दो 
मांग रहे है भीख 

पांच साल में एक बार ही 
अपनी शक्ल दिखाते 
चुनावों में जीतने के बाद 
मतदाता को भूल जाते 

सड़के खस्ताहाल है रहती 
रेलवे की भी किराये बढ़ती 
महंगाई है आसमान को छूती 
अर्थब्यवस्था गर्त में डूबती 

जो करेगा देश में विकास 
जिस पर हम कर सके विश्वास 
पांच साल जो टिक सके सरकार 
उसको वोट मिलेगा आज 

लोकतंत्र के महापर्व में 
सब होंगे सहभागी 
तैयार हो जाओ ए देशवासी 
अब आई है वोट देने की बारी 

वोट है जनता का अधिकार 
जनता समझ चुकी है आज 
उसे लोकतंत्र का है पुरा ज्ञान 
लोग करेंगे खुलकर मतदान

खेलो होली सब हर साल

रंगों का त्योहार है आया 
खेलो जम के होली रे 
छुटेगी फुहार सभी की 
हसी खुशी ठिठोली रे 

होलीका का हवन जलाकर 
पिचकारी से धार चला कर 
भांग का प्रसाद खिला कर 
खेले होली सब मिलजुल कर 

रंगबिरंगे सब के चेहरे 
अबीर गुलाल है सब ने खेले 
कुछ है सुखे कुछ के गीले 
रंजो गम आपस के भुले 

अलग अलग पकवान बने है 
सबसे मिलने लोग चले है 
होली का ये मिलन अनूठा 
बैर भाव भुल, प्यार से मीठा 

रंग होली के जीवन में भर लो 
हर भाव समाहित खुद में कर लो 
स्नेह समर्पण का ये त्योहार 
खेलो होली सब हर साल 

गुरुवार, 6 मार्च 2014

अम्बर बारिश करवाता है

ग्रीष्म में तपी धरती 
जब उगलती आग 
झड़ जाते है पत्ते सारे 
सुनी रहती डाल 

स्वेद से तन गीला होता 
और शुष्क होते प्राण 
सब अम्बर से है आस लगाते 
अब जल्दी से बरसात करा दे 

लो अब अम्बर गहराता है 
घनघोर घटाये लाता है 
नभ से फिर बरसाता है 
जीवन की प्यास बुझाता है 

नव जीवन तब इठलाती है 
धरती दुल्हन सी सज जाती है 
खग मोर पपीहा गाते है 
जीवन का राग सुनाते है 

बारिश की छोटी बूंदो से 
जब धरा का संगम होता है 
नव जीवन का अंकुर जगत में 
अंगड़ाई ले जग जाता है 

गर्मी की अलसाई रातो में
अब नया सबेरा होता है 
नव जीवन के रंगो से अब
अम्बर बारिश करवाता है 
--सुमन्त शेखर

सोमवार, 3 मार्च 2014

लौहनगरी टाटानगर

देश की पहली 
लौहनगरी 
मना रही है 
आज जयंती 

टाटा का ये शहर पुराना 
सज के बना बड़ा सुहाना 
दो नदियों का है यहाँ संगम
डिमना भी है बहुत मनोरम 

कारखानो से पटा नगर ये 
जुबली का है पार्क यहाँ 
साक्ची का है ग्राम निराला 
प्रायोजित है शहर घर सारा 

टाटा ने था सपना ये देखा 
इस्पात से है देश जोड़ना 
सपना ये साकार हुआ है 
सारी दुनिया में मान हुआ है 

टाटा ऐन संस का 
दुनिया में कारोबार हुआ है 
टाटा का ये सपना 
सच में आज साकार हुआ है 

जमशेद जी का जमशेदपुर
टाटा जी का ये टाटानगर 
आज भी सबको प्यारा है 
झारखण्ड का ये महानगर 

शनिवार, 1 मार्च 2014

एक एहसास

होश तो जाने किस जहान में रहता है 
ना दर्द का एहसास होता है 
ना खुशियों का भान 
ऐसे मोजों में अक्सर खो जाता इंसान 

इक ख़ुशी भी है इक गम भी पास 
जाने कैसा था वो एहसास
इक बार मिला फिर छूट गया 
हर गम के बादल चीर गया
नया सबेरा दिखा गया 
अदभुत था मेरा वो एहसास ।